गुनाह तो नहीं है मोहब्बत करना,
मगर हाँ जब करो इसकी अज़्मत करना।
ये इश्क़ प्यार मोहब्बत जो भी बोलो,
है अर्थ तो ज़माने को जन्नत करना।
करो जहाँ को रौशन मोहब्बत से तुम,
किसी की ज़िंदगी में ना ज़ुल्मत करना।
सफ़र ये दिल से दिल तक का है मोहब्बत,
कभी भी इस सफ़र में ना उजलत करना।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें