देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

घर का रास्ता (कविता) Editior's Choice

कई बार मैंने कोशिश की
इस बाढ़ में से अपना एक हाथ निकालने की
कई बार भरोसा हुआ
कई बार दिखा यह है अंत

मैं कहना चाहता था
एक या दो मालूमी शब्द
जिन पर फ़िलहाल विश्वास किया जा सके
जो सबसे ज़रूरी हों फ़िलहाल

मैं चाहता था
एक तस्वीर के बारे में बतलाना
जो कुछ देर क़रीब-क़रीब सच हो
जो टँगी रहे चेहरों और
दृश्यों के मिटने के बाद कुछ देर

मैं एक पहाड़ का
वर्णन करना चाहता था
जिस पर चढ़ने की मैंने कोशिश की
जो लगातार गिराता था धूल और कंकड़
रहा होगा वह भूख का पहाड़

मैं एक लापता लड़के का
ब्योरा देना चाहता था
जो कहीं ग़ुस्से से खाता होगा रोटी
देखता होगा अपनी चोटों के निशान
अपने को कोसता
कहता हुआ चला जाऊँगा घर

मैं अपनी उदासी के लिए
क्षमा नहीं माँगना चाहता था
मैं नहीं चाहता था मामूली
इच्छाओं को चेहरे पर ले आना
मैं भूल नहीं जाना चाहता था
अपने घर का रास्ता।


रचनाकार : मंगलेश डबराल
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें