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गर्मियों की छुट्टियों में (कविता)

गर्मियों की छुट्टियों में
नानी के पुरवा जाते थे,
भरी कटोरी दही के साथ
मक्के की रोटी खाते थे।

यामा को सोने के अवसर
पटाव पर तारें गिनते थे,
पतली सी चादर की टुकड़ी
के वास्ते ख़ूब लड़ते थे।

भोर को चलती वात शीतल
में नींद जोरो की आती थी,
पानी के छीटें देकर के
नानी सवेरे जगाती थी।

दिनभर बाग़ की क्यारियों में
कीट के पीछे भागते थे,
तीज-त्यौहारों के दिवस में
ढोल की धुन पर नाचते थे।

ऊँची टहनी पर चढ़कर के
कच्चे आम को चुराते थे,
बाग़बान के आ जाने पर
पल्लव पीछे छुप जाते थे।


रचनाकार : निहाल सिंह
लेखन तिथि : 18 फ़रवरी, 2022
            

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