गणतंत्र दिवस (कविता)

गणतंत्र दिवस का पर्व आया, राष्ट्र ध्वज चारों ओर फहराया,
"जन गण मन" गुनगुनाने का, देखो यह पावन दिन आया।
26 जनवरी 1950 का दिन था, जन गण को मिला सर्वोच्च अधिकार,
इसी दिन स्वीकृत हुई राष्ट्र में, एक लोकतान्त्रिक सरकार।

26 नवंबर 1949 को मिला, राष्ट्र को उसका संविधान,
26 जनवरी 1950 के दिन संविधान ने दी हमें, जनतान्त्रिक पहचान।
26 जनवरी 1929 के दिन, प्रस्ताव पास हुआ पूर्ण स्वराज्य का,
इसीलिए चुना गया 26 जनवरी का दिन, जन गण के साम्राज्य का।

पुरे विश्व में बजाया डंका हमने, सबसे बड़े जनतंत्र का,
इंतज़ार रहता हर वर्ष इस दिन का, जब आता दिवस गणतंत्र का।
राजपथ पर होता आयोजित, राष्ट्रपति झंडा फहरातें हैं,
तिरंगे के तीन रंग गेरुआ, सफ़ेद और हरा, अशोक चक्र संग लहरातें हैं।

प्रस्तुत होती हैं राजपथ पर, हमारी सामरिक शक्ति की झाँकियाँ,
सारे राज्यों के कलाकार, दिखातें राजपथ पर अपनी अदाकारियाँ।
बच्चे, बूढ़े, जवान और औरतें, मनातें हैं ख़ुशियाँ और उमंग,
विदेशी मेहमानों के समक्ष दिखातें हैं, सारे प्रदेश अपने रंग सतरंग।

याद करता हर भारतवासी इस दिन, राष्ट्रवीरों की बलिदानी,
तिरंगा हमारी है पहचान, यह बात सभी ने है मानी।
गर्व है मुझे इस बात का, इस मिट्टी की हूँ मैं संतान,
देश हैं तो मैं भी हुँ, राष्ट्र की शान से हैं मेरी पहचान।

आओ मिलकर सब ध्वज फहराएँ, आओ तिरंगे का परचम लहराएँ,
आओ माँ भारती को करें नमन, "जन गण मन" राष्ट्र गान हम गाएँ।
आओ आज इस पावन दिन, मन में एक नया विश्वास जगाएँ,
करें एक नई शुरुआत हम, भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाएँ।

आओ आज देश की भूमि से, गद्दारों को हम मार भगाएँ,
दिग्भ्रमित युवाओं को हम, सच्चाई की नई राह दिखाएँ।
मिटाकर निराशा के बादल, क्रांति का मनोभाव जगाएँ,
विविधता में एकता की आज, आओ नई एक मिसाल दिखाएँ।

राजा भरत के इस राष्ट्र को, इसकी विस्मृत शान दिलाएँ,
रानी लक्ष्मीबाई की इस वीर भूमि में, नारी को उचित सम्मान दिलाएँ।
ऐसे सारे जतन करें हम, भारत फिर सोने की चिड़िया कहलाएँ,
आओ सब मिलकर हम, प्रगति पथ पर क़दम बढ़ाएँ।

इन्हीं भावों से आज मैं, करता हूँ तिरंगे को नमन,
विह्वल हो रहा है मन आज, छूता हूँ माँ भारती के चरण।
"जन गण मन" का गान करूँ, शहीदों का करूँ मैं वंदन,
भारत भूमि में जन्म लिया, इस बात से आल्हादित है अंतर्मन।


लेखन तिथि : 25 जनवरी, 2022
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सुभाष चंद्र बोस


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