कृष्ण पक्ष का,
शुक्ल पक्ष है।
फलीभूत
होती आशाएँ।
निष्फल होती
हैं कुंठाएँ।।
खुला झरोखा,
वही कक्ष है।
भाग्य हुआ
सूरज चमकीला।
रुँधा हुआ था
तार कँटीला।।
वो नौसिखुआ
आज दक्ष है।
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