देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

फ़ैसला (कविता)

जो परंपराएँ
तुझे कूप मंडूक बनाती है
उसे छोड़ दे।

जो अभिवादन
तुझे नीच का अहसास कराए
उसे छोड़ दे।

जो संस्कृति
तुझे आगे बढ़ने नही देती
उसे छोड़ दे।

जो सिद्धांत
वैज्ञानिकता पर खरा न उतरे
उसे छोड़ दे।

जो व्यवस्था
तुझे पग-पग गाली दे
उसे छोड़ दे।


लेखन तिथि : 21 फ़रवरी, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें