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एक कण (कविता)

एक वायरस ने दुनिया में
कितना भय फैलाया है,
कोविड-19 नाम से
अपना परचम फैलाया है।

फ्रांस चीन इटली को भी
आग़ोश में अपने लाया है,
विकसित देश अमेरिका
को भी इसने नाच नचाया है।

क्या अमीर और क्या ग़रीब
सब पर इसका साया है,
कोई नहीं बचा है इससे
जो बाहुपाश में आया है।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब में आतंक मचाया है,
झुग्गी बंगलों के वाशिंदों को
भी ग्रास बनाया है।

इतने छोटे से एक कण ने
सबको घर में रुकवाया है,
रुक गई है दुनिया की चाल
ऐसा ब्रेक लगाया है।

ऊँच-नीच न देखा इसने
क़हर सब पर बरसाया है,
मानव के घमंड को इसने
नत मस्तक करवाया है।

डाक्टरों वैज्ञानिकों को भी
इसका भेद समझ नहीं आया है,
इंसाँ की औक़ात है कितनी
आज समझ में आया है।


लेखन तिथि : 18 जुलाई, 2020
            

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