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एक बच्चे का मन (लघुकथा)

"माँ क्या कर रही हो"
"कुछ नही बेटा, दादा तुम्हारे बूढ़े हो गए हैं और आज कुछ मेहमान आ रहे हैं, तुम्हारा जन्मदिन है बेटा। तुम्हें सब शुभकामनाएँ देगें।"
यह कह कर रमा अपने ससुर विश्वनाथ जी को घर से बाहर गौशाला में ले गई। जहाँ उन्हें एक दिन रहना पड़ेगा। गोलू माँ के इस व्यवहार से ख़ुश नही था। जो बच्चा दिनभर दादा जी के पास रहता था, बातें करता था, उसे कुछ अटपटा लग रहा था। एक बच्चे का मन पूछ पड़ा "माँ जब-जब जन्मदिन आता है तब-तब बूढ़ों को गौशाला में रखा जाता है। जब आप बूढ़ी होगीं तो मैं कैसे आपको...?" कहते-कहते बच्चा रुक गया। माँ अवाक थी जैसे काटो तो ख़ून नही।


लेखन तिथि : 4 अगस्त, 2021
            

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