चल रहा
है दुःखों
का क़ाफ़िला!
ख़ुशियाँ हैं
पानी का
बताशा!
अपिरिचित
शहर में
क्या शनासा!
राजधानी
खोने लगी
जिला!
चाँदनी
धूप सी
तपने लगी!
उजाले
की देह
कँपने लगी!
राह में
बबूलों का
वन मिला!
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