दुःख में ही तो
सुख का महत्व ज्ञात होता है,
दुःख में ही तो
शत्रु, मित्र का पहचान होता है।
दुःख में ही तो
सुख का महत्व ज्ञान होता है,
दुःख में ही तो
अपने और पराए की परख हो जाता है।
आग में तप कर ही तो
सोने में चमक आती है,
दुःख को सह कर ही तो
सुख की अनुभव की जाती है।
अँधेरी रात के बाद ही तो
जीवन में रोशनी आती है,
जैसे पतझड़ के बाद ही
बसंत की बहार आती है।
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