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दुआ (कविता)

जहाँ दवा
काम करना
बंद कर दे,
वहाँ दुआ ही काम आती है।
श्रम के निरंतर
प्रयासो से,
हिय की मृद
कयासो से,
दुआ सहज ही
निकल आती है।
जग में ऐसा
कभी काम न करना,
लोग तुम्हें
बद्दुआओ के
फेंके ताने।
दुआ का
दूसरा नाम आशीष,
सबके रहो
प्रिय जाने माने।
जब चिकित्सक
डाल देता है हथियार,
जब द्वारे बंद हो और
चारो तरफ़ से,
दिखने लगे
हार ही हार।
तब दुआ की रोशनी
स्फुटित हो,
जीवन को नया
आयाम देती है।
जब माँ की दुआ
लेकर सोल्जर
रण भूमि में जाता है,
दनादन गोलियाँ चलती
दुआ के असर से
बेबाक बच जाता है।
हमारी ज़िंदगी के
सफ़र में,
कई अड़चने आती है,
पर अनासय ही
उसकी झोली में
जीत आती है।
जहाँ दवा
काम करना
बंद कर दे,
वहाँ दुआ ही काम आती है।


            

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