दोस्तों को आज़माना सीख ले,
ख़्वाब में है घर बनाना सीख ले।
ये पराया सा शहर है भाइयो,
इस शहर में आबदाना सीख ले।
ज़िंदगी जो आज सूनापन लिए,
तूँ किसी से दिल लगाना सीख ले।
क्यों अराजक हो गए हैं लोग ये,
कुछ नहीं तो घूस खाना सीख ले।
वो बहुत लगता मुझे भोला अजी,
काम में मुर्गे फँसाना सीख ले।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें