ढाँढस देना सीख है (दोहा छंद)

ढाँढस देना सीख है, सुने किसी के आह।
चल पड़ती है ज़िंदगी, भरता है उत्साह।।


लेखन तिथि : 30 जुलाई, 2021
यह पृष्ठ 40 बार देखा गया है
×

अगली रचना

अपना-अपना राग है


पिछली रचना

दीन अबलों की सुनिए
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें