साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3286
मुम्बई, महाराष्ट्र | 1981
ढाँढस देना सीख है, सुने किसी के आह। चल पड़ती है ज़िंदगी, भरता है उत्साह।।
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