देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

दफ़्तर में होने लगे, बस तिकड़म के खेल (दोहा छंद)

दफ़्तर में होने लगे, बस तिकड़म के खेल।
अफ़सर ऐसा लग रहा, हो जैसे राफेल।।


लेखन तिथि : 14 अगस्त, 2020
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें