वीर शिवाजी की गाथाएँ,
बचपन से सुन आए हैं।
भारत के उस महापुरुष की,
अनुपम शौर्य कथाएँ हैं।
नैनों में जलती थी ज्वाला,
सीने में था शौर्य भरा।
तन था अद्भुत कोहिनूर सा,
अंतर्मन सौंदर्य भरा।
जीजाबाई योद्धा के सुत,
वीर शिवाजी महा महान।
पिता शाहजी के सपूत वह,
वह थे इस धरती की शान।
वीर पुरुष की गाथा सुनकर,
साहस भरता सीने में।
जीवन हो तो वैसा ही हो,
वरना क्या है जीने में।
शौर्य पुत्र की विजय पताका,
भारत माँ फहराई थी।
स्वयं शक्ति माँ दुर्गा ही फिर,
उनको लेने आई थी।
शत् शत् नमन उन्हें करते हैं,
जिनकी नम्य प्रथाएँ हैं।
वीर शिवाजी की गाथाएँ,
बचपन से सुन आए हैं।
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