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छठ पूजा (कविता)

आया छठ पूजा का महापर्व, सूर्यदेव की करें उपासना,
सुबह और शाम, सूर्य देव की, करें अर्घ्य देकर अर्चना।
सूर्य देव की बहन छठ मैया, देगी ख़ुश होकर वरदान,
ब्रह्मा की मानस पुत्री कन्या छठ मैया, निःसंतानों को देती संतान।

था वह कार्तिक शुक्ल षष्ठी का दिन, हुई राम राज्य की स्थापना,
भगवान राम और माँ सीता ने की थी, सूर्य देव की आराधना ।
इसी दिन महाभारत काल में, कर्ण ने की सूर्य देव की अर्चना,
पूजा के पश्चात करते थे पूर्ण, हर याचक की याचना।

करते हैं सूर्य की पूजा, करते प्रकृति की आराधना,
नदी और चन्द्रमा की भी इस दिन, करते हैं अर्चना।
आस्था का पर्व है यह छठ महापर्व, स्वच्छता का महापर्व,
हर जाति, हर धर्म का, बड़ा ही पावन पर्व यह महापर्व।

धुप, दीप, नैवेद्य से, पवित्र हो जाता वातावरण,
भक्ति भाव से जुड़ जाते सब, करते सदाचरण का अनुकरण।
छठ मैया के बजते भजन संगीत, माहौल होता अलौकिक,
बज उठते साज और संगीत, धार्मिक भावनाओं का यह पर्व प्रतीक।

गाते सब प्रीत के गान, मिट जाता दिलों से द्वेष,
करते आचमन प्रीत भाव का, मिटा देते सारे द्वन्द और क्लेश।
सुबह शाम देते सूर्य देव को अर्घ्य, करते प्रसाद उनपर अर्पण,
मनाते धूम धाम से छठ पूजा, करते तन मन से समर्पण।

सूर्य देव की करें वंदना, करें सूर्य से साक्षात्कार,
करें छठ मैया की पूजा, करें भगवान सूर्य का सत्कार।
सद्भाव और संयम का यह त्यौहार, होता पवित्र आचार व्यवहार,
छठ मैया का रखते व्रत, देतें सबको शुभकामनाएँ सौ हज़ार।


लेखन तिथि : 10 नवम्बर, 2021
            

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