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चैत्र महात्म (कविता)

प्रथम माह चैत्र है आया,
रंग गुलाल से यह सजा सजाया।
नए साल की ख़ुशियाँ लाया,
नवरात्रि की है धूम मचाया।
खेतों को सोने से सजाया,
रंग-बिरंगे फूलों ने इसको महकाया।
ना अति ठण्डी ना अति धूप,
चारों ओर है ख़ुशियों की लूट।
खेतों में देख फ़सल मन हर्षाता है,
मन्दिर में भक्ति रस झूम झूमकर गाता है।
रंग गुलाल लगाकर सबने,
एक दूजे को गले लगाया,
मीठी गुझिया ने सबकी वाणी को मधुर बनाया।
रहे सदा ये भूषण दृश्य विहंगम,
माँ दुर्गा, काली से अर्ज लगाया।
विधिवत पूजन अर्चन कर,
सबने अपना सौभाग्य जगाया।

हे नव वर्ष के चैत्र माह
तुम्हारा स्वागत अभिनन्दन है,
आगमन तुम्हारा शीतल
मधुर, पावन चन्दन है।


लेखन तिथि : 27 मार्च, 2022
            

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