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बुद्ध पूर्णिमा (दोहा छंद) Editior's Choice

था मन अशान्ति तज गेह को, निकल पड़ा सिद्धार्थ।
बोधवृक्ष नीचे मिला, सत्य शान्ति परमार्थ।।

दया धर्म करुणा हृदय, सदाचार तप स्नेह।
पथिक अहिंसा बुद्ध सत्य, मुक्ति सुखी जग धेय।।

शान्तिदूत सादर नमन, मानवता प्रतिमान।
बुद्ध पूर्णिमा पुण्य तिथि, नमन बुद्ध भगवान।।

स्वारथ में मानव विकल, किया प्रकृति से द्रोह।
हिंसा छल मिथ्या प्रकृति, बुद्ध मार्ग अवरोह।।

लिया जन्म संसार में, बस मानव कल्याण।
बुद्ध दशम अवतार हरि, किया जगत का त्राण।।

पुण्य दिवस निर्वाण का, ब्रह्म ज्ञान प्रभु बुद्ध।
त्रिविध पाप संताप से, सत्य ज्ञान मन शुद्ध।।

रोग शोक भव मोह जग, लोभ द्वेष छल राग।
दिया मंत्र प्रभु मुक्ति का, शान्ति चित्त अनुराग।।

शील त्याग गुण कर्म ही, साधन हित संसार।
नीति रीति सच प्रीति पथ, बुद्ध ज्ञान उपहार।।

नश्वर तन धन लोक में, अमर गीत उपकार।
बोध ज्ञान गौतम गया, शुद्ध हृदय आचार।।

हर अन्धकार अज्ञान का, ज्योतिर्मय कर लोक।
चले तथागत कर्म पथ, सारनाथ हर शोक।।

शरणागत करता नमन, विनती यही निकुंज।
खिले चमन जग शान्ति का, मानवता अलिगुंज।।


            

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