वाराणसी, उत्तर प्रदेश | 1433 - 1540
ऊँचे कुल के कारणै, ब्राह्मन कोय न होय। जउ जानहि ब्रह्म आत्मा, रैदास कहि ब्राह्मन सोय।।
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