देश के सामने भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या है, भ्रष्टाचार के निषेध के लिए क़ानून है, लोगों को शिकायत भी करनी चाहिए।
किन्तु वास्तव में भ्रष्टाचार कैसे रुके इस विषय पर लोग चर्चा नहीं करते, शायद प्रयास भी कम करते हैं, लोगों को किसी व्यक्ति की धन संपदा के आधार पर इज़्ज़त करने के बजाय उनके मानवीय गुणों की क़द्र करनी चाहिए।
कोई भी व्यक्ति शायद जन्म से भ्रष्टाचारी नहीं होता, भ्रष्टाचार करने में उसका संस्कारशील न होना बडा कारक होता है और उसका परिवार भी बहुत बड़ा भागीदार होता है, उसके अलावा उसके आस पास के समाज का नज़रिया जो कमाई के हिसाब से सम्मान देते हैं चाहे वो ग़लत तरीक़े से की हो।
नौकरी में भ्रष्टाचार के बहुत कारण हैं। नौकरी लगने के बाद माता-पिता को पता होता है बेटे का वेतन कितना है वेतन से ज़्यादा पैसा घर लाने पर वो प्रतिकार नहीं करते,
विवाह के पश्चात वेतन से ज़्यादा धन घर लाने पर पत्नी प्रतिकार नहीं करती अपितु प्रसन्न होती है (कुछ अपवाद भी हैं किन्तु संख्या कम है), बाद में बच्चे भी प्रतिकार नहीं करते और धीरे धीरे सुविधाभोगी हो जाते हैं।
यदि परिजन भ्रष्ट कमाई स्वीकार करना छोड़ दें तब ही इस पर अंकुश लग सकता है।
वैसे आपने और हमने ईमानदार कर्मचारियों का सम्मान होते देखा होगा, किन्तु इतना प्रसार नहीं किया जाता और प्रोत्साहन का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
हम सबको भ्रष्टाचार रोकने के लिये स्वयं और परिवार के स्तर पर प्रयास करने होंगे, आशा है प्रयास करेंगे।
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