पूरब में
दिनकर मुस्काया,
भोर हुई!
आँगन में
गौरइया चहकी!
चलती हुई हवा
है महकी!!
खेतों ने हल
गले लगाया,
भोर हुई!
पगडंडी है
राहगीर हैं!
बरगद-पीपल
बहुत धीर हैं!!
फूलों पर शबाब
है छाया,
भोर हुई!
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