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भोर हुई (नवगीत)

पूरब में
दिनकर मुस्काया,
भोर हुई!

आँगन में
गौरइया चहकी!
चलती हुई हवा
है महकी!!

खेतों ने हल
गले लगाया,
भोर हुई!

पगडंडी है
राहगीर हैं!
बरगद-पीपल
बहुत धीर हैं!!

फूलों पर शबाब
है छाया,
भोर हुई!


लेखन तिथि : 2019
            

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