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भावों संग होली के रंग (कविता)

होली रंगों का त्योहार है
आपस में मिलने जुलने
शिकवा शिकायतें मिटाने का
गुझियों संग मिठास बाँटने का
ख़ूबसुरत होली त्योहार है।
इसे हुड़दंग का अवसर न बनाएँ
किसी को नुक़सान न पहुँचाएँ,
किसी का दिल न दुखाएँ
जबरन रंग न लगाएँ
बीमारों बुज़ुर्गों का भी ख़्याल करें,
रिश्तों की मर्यादा में रहकर
होली का ख़ूब रंग भरें।
किसी को नुक़सान न पहुँचे
किसी का दिल न टूटे
हर किसी के साथ शालीनता संग
होली के रंगों की फुहार करें।
पर्व, त्योहार ख़ुशियाँ लेकर आते हैं,
इसका भी हम सब मान करें
त्योहारों में सबका यथोचित सम्मान करें।
होली में रंगों से ही नहीं
भावों से भी सराबोर करें
रंगों संग होली का दोस्तों
कुछ ऐसा ही हुड़दंग करें।
प्रेम, प्यार भाईचारे का आपस में रंग बिखरे
हर एक चेहरे पर
होली की रंग बिरंगी मुस्कान हो
सब मिल ऐसा जतन करें,
हर किसी के जीवन में
होली संग ख़ुशियों के रंग भरें।


लेखन तिथि : 11 मार्च, 2022
            

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