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अपराधी है तो थाना है (गीतिका)

अपराधी है तो थाना है,
कैसा खूँखार ज़माना है।

हमको अनजाना शहर मिला,
औ सारी रात बिताना है।

हासिल करने की ख़्वाहिश में,
क्या अपना माल गँवाना है।

सारी महफ़िल मायूस हुई,
औ हमको पड़ा हँसाना है।

मिली बेहयाई हमको क्यों,
सब कहते रहे लजाना है।


लेखन तिथि : 23 जुलाई, 2020
आधार छंद : चौपाई
            

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