साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
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मुम्बई, महाराष्ट्र | 1981
अपना-अपना राग है, अपनी-अपनी पीर। समाजसेवी जो करे, वो ही सच्चा वीर।।
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