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ऐ मौत तेरा डर नहीं (कविता)

ऐ मौत तेरा डर नहीं,
यहाँ कोई अमर नहीं।
मौत ही अटल सत्य है,
बाक़ी दुनियाँ मिथ्या है।
ऐ मौत तेरा डर नहीं।

मुझे डर तो ज़िंदगी से लगता है,
कही मौत से पहले ना मर जाऊँ।
हर इंसान बस तकलीफ़ देता है,
अपना बन कर नया ज़ख़्म देता है।
ऐ मौत तेरा डर नहीं।

हँसते-हँसते तेरे गले मिलूँगी, 
ऐ मौत तेरा भ्रम है मैं रोने लगूँगी।
तू ही तो एक सच्चा साथी है,
ऐ मौत तेरे स्वागत की मैंने तैयारी की।
ऐ मौत तेरा डर नहीं।

बस मेरी एक ही तमन्ना है,
रोने-धोने की जगह शेर-ओ-शायरी हो।
मेरी मौत मौत नही कोई जश्न हो,
मेरी मौत पर त्यौहार मनाया जाए।
ऐ मौत तेरा डर नहीं।

मेरे जीवन का तू आख़िरी लक्ष्य है,
फिर क्यों डरूँ मैं अपनी मौत से।
मेरी इस ज़िंदगी के सफ़र का,
सच तो ये है मौत आख़िरी रास्ता है। 
ऐ मौत तेरा डर नहीं।


लेखन तिथि : अप्रैल, 2020
            

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