देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

अडिग हौसला (कविता)

थोड़ा सा धैर्य रखा यारो,
और थोड़ा सा विश्वास,
माना परिस्थिति थी कठिन
पर मन में थी गहरी आस।
वो आस मैंने टूटने नहीं दी,
ना ही ख़ुद को कमज़ोर बनाया।
हर एक को चुनौती मानकर 
मैंने अपना पूरा किया संकल्प।
पता था कब तक टिकेगी
ये परेशानी सामने मेरे,
क्योंकि थे अडिग
डटे हौसले जो मेरे।
बस परेशानियाँ भी 
डरने लगी यारो,
आगे बढ़ने की राह देने लगी।
ख़ुद ब ख़ुद रास्ता बनता 
चला गया,
कारवाँ बनता चला गया,
और परिस्थिति भी फिर
हाथ जोड़ने लगी।
हौसला अपनी जेब में रखकर
सफ़र तय किया,
इम्तिहान कितना भी कठिन था,
पास कर ही लिया।


लेखन तिथि : 2 नवम्बर, 2017
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें