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आबादी अवसर या अवसाद (लेख)

आज जनसंख्या दिवस है यानी 11 जुलाई 2021। आज के दिन में ही उत्तर प्रदेश की सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की ड्राफ्ट पेश किया है और आम जनों से इस पर सुझाव माँगे हैं। मेरा मानना है की आज जो केवल एक राज्य ऐसे क़ानून लाने की कोशिश कर रही है यह कम से कम 20 से 30 साल पहले पूरे देश में लागू हो जानी चाहिए थी अगर हम जनगणना 2001 की बात करें तो उस वक़्त भारत की आबादी 100 करोड़ थी 2011 की बात करें तो आवादी 121 करोड़ हो गई इसी प्रकार वर्तमान में देश की आबादी क़रीब 140 करोड़ हो चुकी है। यानी 2 जनगणना के बीच में भारत प्रत्येक 10 साल के बीच एक पाकिस्तान पैदा हो जाती है, इसके बावजूद भी बहुत ऐसे लोग जो इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखते हैं वह इसे धार्मिक कोंन देना चाहते हैं जो कि बिल्कुल ग़लत है। जनसंख्या नियंत्रण एक सामाजिक उपाय है जिससे भारत जैसे देशों में ग़रीबी बढ़ने से रोका जा सकता है। तथा संसाधनों से वंचित निम्न वर्ग के लोगों को समुचित व्यवस्था यथा पोषण युक्त भोजन, आवास, स्वास्थ्य, यातायात इत्यादि की समुचित व्यवस्था हो सके। इसके परिपेक्ष में छोटे-छोटे देशों में व्याप्त ग़रीबी और भुखमरी की उदाहरण देना की फलाना देश बहुत छोटा है आबादी भी कम है तो फिर वह ग़रीब क्यों है ऐसा तर्क देना सही नहीं है। हम अब भारत को सोमालिया, सूडान, कांगो जैसे छोटे और ग़रीब अफ़्रीकी देशों से तुलना नहीं कर सकते वहाँ ग़रीबी और भुखमरी की समस्या के कारण अलग है। परंतु भारत जैसे विकासशील देश में ग़रीबी, भुखमरी व अव्यवस्था की प्रमुख कारण बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि है। जब तक जनसंख्या का समुचित प्रबंध भारत जैसे विकासशील देश में नहीं हो पाएगा तब तक हम एक विकसित देश की परिकल्पना नहीं कर सकते। कुछ तथ्य इस प्रकार हैं भारत विश्व की सातवीं सबसे बड़ी देश है क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से और दूसरी सबसे बड़ी देश है आबादी के दृष्टिकोण से हम क्षेत्रफल और आबादी की अनुपातिक तुलना करें तो चीन हमसे क़रीब 3 गुना बड़ा है इसी प्रकार अमेरिका भी हमसे 3 गुना बड़ा है लेकिन अमेरिका की आबादी महज़ यूपी झारखंड और बिहार इतनी हैं। यानी मोटे तौर पर यह कहे कि भारत के जनसंख्या घनत्व चीन और अमेरिका जैसे विकसित और बड़े देशों से कहीं ज़्यादा है। चीन और अमेरिका जैसे देशों की जनसंख्या घनत्व से भारत की जनसंख्या घनत्व का हिसाब लगाया जाए तो भारत की आबादी ज़्यादा से ज़्यादा 50 करोड़ होनी चाहिए यह तथ्य है लेकिन आबादी क़रीब 3 गुना अधिक है। यानी भारत में जनसंख्या का संसाधनों पर बहुत अधिक दबाव है जिस कारण से उत्पन्न विभिन्न समस्याएँ जैसे कि क़ानून व्यवस्था की समस्याएँ, खाद्य सुरक्षा की समस्याएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ और संसाधनों की उचित बँटवारा ना होना भी एक बहुत बड़ी समस्या है जैसे जैसे आबादी बढ़ती जाएगी वैसे वैसे संसाधनों में कमी होती जाएगी। बढ़ती जनसंख्या का प्रमुख कारण है शिक्षा की कमी और ग़रीबी। भारत जैसे देश को फ़िलहाल कड़ी से कड़ी जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू कर जनसंख्या को रोकना ही होगा तथा इसे कम करके 100 करोड़ तक लाना होगा। जनसंख्या कम करना यह एक ना सोची हुई परिकल्पना है परंतु अगर इस पर समुचित वाद-विवाद की जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि हमारा देश अधिक जनसंख्या से उत्पन्न होने वाले विभिन्न ख़तरों का सामना कर रहा है। अतः क़ानून हम दो हमारे दो कि नहीं बल्कि हम दो हमारे एक की होनी चाहिए ताकि जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रित हो सके और संसाधनों पर अत्यधिक बोझ कम हो सके।


लेखन तिथि : 11 जुलाई, 2021
            

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