जन-जीवन को
लील गया
आपदाओं का नाग!
अतिवृष्टि, बाढ़
चक्रवात!
पिघल रही
मोमी रात!
क्लेश के साबुन
से निकला
संतापों का झाग!
ख़्वाहिशें सब
सील गईं!
बल्ब से
कंदील गई!
मौसम पे
तोतों ने की है
टिप्पणी बेलाग!
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