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आज टूटी सी भुजा है (ग़ज़ल)

आज टूटी सी भुजा है,
यानि घायल अब शुजा है।

एक दूजे के लिए हैं,
राम हैं मानो कुजा है।

ये बहारें हैं बलाएँ,
गर बवंडर ही अजा है।

आँख में आँसू बसे हैं,
प्रीत करना भी सजा है।

जो सदा हिटलर बने थे,
हाँथ में धार्मिक ध्वजा है।


  • विषय :
लेखन तिथि : 13 अक्टूबर, 2019
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122 2122
            

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