बांदा, उत्तर प्रदेश | 1911 - 2000
आज नदी बिल्कुल उदास थी, सोई थी अपने पानी में, उसके दर्पण पर बादल का वस्त्र पड़ा था। मैंने उसको नहीं जगाया, दबे पाँव घर वापस आया।
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