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आदर्श परिवार (कविता)

ऐसा एक परिवार हो,
सुख दुख का संसार हो।
भाई बहन में प्यार जहाँ हो,
जन्नत जैसा स्वर्ग वहाँ हो।
माता-पिता हो देव की मूरत,
जहाँ शैतान दिखाए न सूरत।
मिला जुला एक राग हो,
ऐसा एक परिवार हो।

माँ ग्वालिन एक यशोदा हो,
बेटा कृष्ण कन्हैया हो।
पिता राजा जनक से हों,
बेटी प्यारी सीता हो।
फूलों का गुलज़ार हो,
ऐसा एक परिवार हो।

सावन आए पतझड़ आए
गर्मी आए या बरसात,
ख़ुशियाँ सदा झलकती रहे
जैसे चाँदनी की रात।
सावन का बहार हो,
ऐसा एक परिवार हो।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 12 मार्च, 2003
            

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