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गीत
प्रीति - संजय राजभर 'समित'
सृजन तिथि : 12 दिसम्बर, 2022
हाज़िर हूँ मैं पलक बिछाए, तेरी ही अभिनंदन में। शुभगे! बाँध लिया है तुमने, मुझे प्रीति के बंधन में॥ नीरस जीवन था तब म
मारा ग़म ने - गोकुल कोठारी
सृजन तिथि : 29 नवम्बर, 2022
नहीं तुमने, नहीं हमने, मारा अगर तो, मारा ग़म ने। नैनों से कहो, ज़्यादा न बहो, समझे हैं हम, कहो न कहो। गिनते थे दुनिया के
भूल जाना - गोपालदास 'नीरज'
सृजन तिथि :
भूल पाओ तो मुझे तुम भूल जाना! साथ देखा था कभी जो एक तारा आज भी अपनी डगर का वो सहारा आज भी हैं देखते हम तुम उसे पर है
रोने वाला ही गाता है - गोपालदास 'नीरज'
सृजन तिथि :
रोने वाला ही गाता है! मधु-विष हैं दोनों जीवन में दोनों मिलते जीवन-क्रम में पर विष पाने पर पहले मधु-मूल्य अरे, कुछ ब
माँ की ममता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 26 नवम्बर, 2022
आँचल में छुपाकर के अपने, ममता के स्नेह से नहलाती है, पाल पोस अपना जीवन दे, प्रिय सन्तति मनुज बनाती है। करुणामय माँ
ज़िंदगी मौत से हारती नहीं - गोकुल कोठारी
सृजन तिथि : 2020
जो हमारे ख़्यालों का रुख़ मोड़कर, याद करते उन्हें जो गए छोड़कर। बेजान है मौत तो मारती ही नहीं, ज़िंदगी मौत से हारती ही
तुम्हारे नील झील-से नैन - हरिवंश राय बच्चन
सृजन तिथि :
तुम्हारे नील झील-से नैन, नीर निर्झर-से लहरे केश। तुम्हारे तन का रेखाकार वही कमनीय, कलामय हाथ कि जिसने रुचिर तुम्
कवि की वासना - हरिवंश राय बच्चन
सृजन तिथि :
कह रहा जग वासनामय हो रहा उद्गार मेरा! 1. सृष्टि के प्रारंभ में मैंने उषा के गाल चूमे, बाल रवि के भाग्यवाले दीप्
कहते हैं, तारे गाते हैं - हरिवंश राय बच्चन
सृजन तिथि :
कहते हैं, तारे गाते हैं! सन्नाटा वसुधा पर छाया, नभ में हमने कान लगाया, फिर भी अगणित कंठों का यह राग नहीं हम सुन पाते
मैं जीवन में कुछ कर न सका - हरिवंश राय बच्चन
सृजन तिथि :
मैं जीवन में कुछ कर न सका! जग में अँधियारा छाया था, मैं ज्वाला लेकर आया था, मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न
मुझे पुकार लो - हरिवंश राय बच्चन
सृजन तिथि :
इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो! 1. ज़मीन है न बोलती न आसमान बोलता, जहान देखकर मुझे नहीं ज़बान खोलता, नहीं ज
छठ पूजन दें अर्घ्य हम - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 28 अक्टूबर, 2022
आदिदेव आदित्य अर्घ्य दूँ, धन मन जन कल्याण जगत हो। पूजन दें छठ अर्घ्य साँझ हम, हरें पाप जग मनुज त्राण हो। राग द्वेष
क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी? - सुशील कुमार
सृजन तिथि : 10 मई, 2022
उम्र भर ख़िदमत करूँगा सिर्फ़ यह विश्वास दो तुम, क्या अमर शौभाग्य बनने का मुझे अधिकार दोगी? कह रही हो तुझपे मेरा पूर्ण
तन-मन देख प्रतीक्षा हारे - सुशील कुमार
सृजन तिथि : 5 अप्रैल, 2021
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन मन देख प्रतीक्षा हारे, सतिए थके थकी रंगोली, कब आओगे द्वार हमारे। नींद बेचकर रात ख़रीदी,
बिन साजन, सावन की रातें - सुशील कुमार
सृजन तिथि : 2021
सावन की बरसातें आईं कागा फिर से घूम, साजन मेरे कब आएँगे पूछे दिल मासूम। वैसे तो विश्वास मुझे वो भी होंगे बेचैन, न क
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर - श्याम सुन्दर अग्रवाल
सृजन तिथि : अक्टूबर, 1995
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर, आगे है सुहानी तेरी राह रेI कहने को जड़ है, ना चले रे ह
मेहनतकशों की पुकार - श्याम सुन्दर अग्रवाल
सृजन तिथि : 1965
भैया रेऽऽऽऽऽऽ भैया रे हल ना रुके, रुके ना हँसिया रेऽऽऽ, भैया रे। रूठ जाए मेघा तो रुठ जाने देना डूब जाएँ तारे तो डूब
मैं सुहागन तेरे कारण - आशीष कुमार
सृजन तिथि : 13 अक्टूबर, 2022
मैं सुहागन तेरे कारण तेरे कारण ओ सजना जो तू नहीं तो फिर क्या ये बिंदी क्या कंगना मैं सुहागन तेरे कारण तेरे कारण ओ स
विपदा हरो माँ - रविंद्र दुबे 'बाबू'
सृजन तिथि : 26 सितम्बर, 2022
शेर पे सवार, मेरी माँ शेरावाली, पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली। पर्वत पर है राज करे माँ, झोली सभी की तू भर दे माँ
नवरात्रि की धूम - रविंद्र दुबे 'बाबू'
सृजन तिथि : 25 सितम्बर, 2022
देखो-देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... देखो देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... नवरात्रि की धूम मची हैं करते नमन हम स
शरद पूर्णिमा - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
सृजन तिथि : 9 अक्टूबर, 2022
यह शरद पूर्णिमा का शशांक, खिल गया तीव्र लेकर उजास। पावन बृजभूमि अधीर हुई, यमुना की लहरों में हलचल। हो गया दृश्य रम
नव प्रगति शान्ति नव विजय कहूँ - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 5 सितम्बर, 2022
रावण दहन के इतिहास में, मैं दानवता का अंत कहूँ। या पाखंड मुदित खल मानस, कोटि रावण अब आभास करूँ। परमारथ सुख शान्त
स्कन्दमातु जग मंगलमय हो - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 30 सितम्बर, 2022
जय जननी जगतारिणी अम्बे! ममता करुणा सागर जय हो। स्कन्दमातु जय चतुर्भुजे, शुभदे वरमुद्रा माँ जय हो। मातु भवानी ग
शुभे कूष्माण्डा जय हो - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 29 सितम्बर, 2022
करें सुमंगल जग जन गण मन कूष्माण्डा माँ, कोरोना दावानल रिपु जग तारिणि जय हो। छल प्रपंच लिप्सा मिथ्या बन्धन अभिशाप
दहेज - संजय राजभर 'समित'
सृजन तिथि : 2 मार्च, 2021
गुड्डे-गुड्डी की शादी में, बच्चे सब शरारती हैं। कुछ बने हैं बाराती यहाँ, तो कुछ बने घराती हैं। कुछ नाच रहे हैं उछ
नव आश किरण मुस्काती है - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 19 सितम्बर, 2022
नभ भोर अरुण चहुँ ओर शोर, पशु विहग प्रकृति चितचोर मोर, हलधर किसान उठ लखि विहान, नव आश किरण मुस्काती है। चहुँ प्रगत
हास्य सम्राट राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 21 सितम्बर, 2022
हास्य गगन विहग उन्मुक्त उड़न, मुख अरुण किरण मुस्काया है। अवसाद ग्रस्त करता गुलशन, बस शाम ढले मुरझाया है। भरता उ
मैं मान रहा हूँ हार प्रिये - संजय राजभर 'समित'
सृजन तिथि : 6 जून, 2021
मान जाओ हे! महारानी, हम ग़लती से क्यूँ रार किए? अच्छा तुम ही जीतीं मुझसे, मैं मान रहा हूँ हार प्रिये। भोली-भाली छैल
एक मीरा एक राधा - रविंद्र दुबे 'बाबू'
सृजन तिथि : 17 अगस्त, 2022
पागल हुआ है मन, श्यामल की माया में, भूख प्यास सुध नहीं अब तो, भक्ति सुहाई रे। एक मीरा एक राधा दोनों, प्रेम दीवानी हैं,
श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सृजन तिथि : 18 अगस्त, 2022
राधा बोली चलो सखी मधुवन, श्याम की बाँसुरी मुझे पुकारे। सुन रोम रोम सखि पुलकित तन मन, कान्हा नटवर मुख नैन निहारे।
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