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दोहा छंद

सम्मान
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सदाचार शिक्षण मिले, शिक्षा नैतिक ज्ञान। मानवीय मूल्यक सदा, मिले कीर्ति सम्मान॥ सबकी चाहत लोक में, मिले समादर मान
जय गाँधी शास्त्री नमन
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार। गाँधी शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥ मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च
कान्हा कृष्ण मुरारी
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अभिनंदन कान्हा जनम, विष्णु रूप अवतार। बालरूप लीला मधुर, शान्ति प्रेम रसधार॥ नंदलाल श्री कृष्ण भज, वासुदेव घनश्य
पुस्तक
डॉ॰ ममता बनर्जी 'मंजरी'
पोथी पुस्तक मोल कर, पढ़े नहीं अब कोय। कैसे इस संसार का, कहो सुमंगल होय॥ लोग करें अब आप को, ई-बुक से सन्तुष्ट। इस कारण
आराधन श्रीकृष्ण का
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हे! अर्जुन के सारथी, हे गिरिधर गोपाल। नंदलाल यशुमति लला, राधा प्रीत निहाल॥ कृष्ण लाल प्रिय राधिका, प्रथम प्रीत मन
तुम दरिया के पार प्रिय
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आशा मन साजन मिलन, सजूँ सनम शृंगार। नज़र टिकी आगम प्रियम, बस दरिया के पार॥ फिर सावन आया मधुर, सजी वृष्टि बारात। घन-घ
माँ मेरी है प्रेरणा
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ममता करुणा हृदय तल, स्नेह सुधा उर पान। माँ जननी धरती समा, तू जीवन वरदान॥ क्षमा दया जीवन कला, तू जीवन सुख छाव। सुख द
पान पुराना घी नया
गंग
पान पुराना घी नया, अरु कुलवंती नारि। चौथी पीठि तुरंग की, स्वर्ग निसानी चारि॥
समरस जीवन सहज हो
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अरुणिम आभा भोर की, खिले प्रगति नवयान। पौरुष परहित जन वतन, सुरभित यश मुस्कान॥ नवयौवन नव चिन्तना, नूतन नवल विहान। न
चरण धरत चिंता करत
केशव
चरण धरत चिंता करत, नींद न भावत शोर। सुबरण को सोधत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर॥
रंगों का त्योहार
विपिन दिलवरिया
रंग-बिरंगे रंग है, रंगों का त्योहार। घर में लाता है ख़ुशी, होली का त्योहार॥ होली का त्योहार है, रंग प्यार के संग। चल
परिवर्तन जीवन कला
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सबको शुभ प्रातर्नमन, मंगल हो शुभकाम। हर्षित पौरुष जन धरा, भक्ति प्रीति हरि नाम॥ हरित ललित कुसुमित प्रकृति, निर्म
लखि वसन्त कवि कामिनी
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
खिली मंजरी माधवी, प्रमुदित वृक्ष रसाल। हिली डुली कलसी प्रिया, हरित खेत मधुशाल॥ वासन्तिक पिक गान से, मुदित प्रकृत
प्रेम प्रेम सब ही कहत
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रेम प्रेम सब ही कहत, प्रेम न जान्यौ कोय। जो पै जानहि प्रेम तो, मरै जगत क्यों रोय॥
प्रेम सकल श्रुति-सार है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रेम सकल श्रुति-सार है, प्रेम सकल स्मृति-मूल। प्रेम पुरान-प्रमाण है, कोउ न प्रेम के तूल॥
रैदास सोई सूरा भला
रैदास
रैदास सोई सूरा भला, जो लरै धरम के हेत। अंग−अंग कटि भुंइ गिरै, तउ न छाड़ै खेत।।
रैदास हमारौ राम जी
रैदास
रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं। राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं।।
प्रेम पंथ की पालकी
रैदास
प्रेम पंथ की पालकी, रैदास बैठियो आय। सांचे सामी मिलन कूं, आनंद कह्यो न जाय।।
ब्राह्मन कोय न होय
रैदास
ऊँचे कुल के कारणै, ब्राह्मन कोय न होय। जउ जानहि ब्रह्म आत्मा, रैदास कहि ब्राह्मन सोय।।
जनम जात मत पूछिए
रैदास
जनम जात मत पूछिए, का जात अरू पात। रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात।।
रैदास प्रेम नहिं छिप सकई
रैदास
रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।। प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय।।
मस्जिद सों कुछ घिन नहीं
रैदास
मस्जिद सों कुछ घिन नहीं, मंदिर सों नहीं पिआर। दोए मंह अल्लाह राम नहीं, कहै रैदास चमार।।
श्रद्धांजलि: स्वर कोकिला लता मंगेशकर
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अस्ताचल लतिका लता, सुरभि गीत संसार। देशरत्न सुर कोकिला, भवसागर से पार।। प्रीत गीत संगीत की, सामवेद प्रतिरूप। अवत
नवप्रभात नवचेतना
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमदेव की कृपा से, शीतल भाव विचार। उषाकाल की लालिमा, करे सुखद संसार।। श्रवण मनन चिन्तन सदा, मौन बने नित शक्ति। सम
नवभोर
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सूर्यदेव अनुपम कृपा, मिले सकल संसार। रोगमुक्त सुन्दर धरा, सुखदा पारावार।। भव्या रम्या मनोहरा, श्वेताम्बर जगदम्
सुभाष: भारत माँ का लाड़ला
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सदा अथक संघर्ष ने, माँ भारत के त्राण। आत्मबल विश्वास दे, कर सुभाष निर्माण।। भारत माँ का लाडला, महावीर सम पार्थ। मे
ख़ुसरो रैन सुहाग की
अमीर ख़ुसरो
ख़ुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग। तन मेरो मन पीउ को, दोउ भए एक रंग।।
नवनीत माला
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चले गेह नित मातु से, पिता चले परिवार। गुरु गौरव समाज का, चले देश सरकार।। कारण सब हैं नव सृजन, चाहे देश समाज। निर्मा
हो जीवन उजियार
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मार्ग सुलभ है पाप का, बड़ा भयावह अन्त। दुर्गम राहें धर्म का, सत्य विजय भगवन्त।। कठिन परीक्षा सत्य की, बलि लेती अविर
छँटे रात्रि फिर सबेरा
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चहल पहल फिर से शुरू, जीवन नया प्रभात। सजी रेल से पटरियाँ, गमनागम सौगात।। फँस जनता जज़्बात में, नतमस्तक सरकार। कोरो

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